संत समाज ने नय सीएम का किया स्वागत,कहा कुम्भ मेले पर लगाई गई सभी रोक हटाई जाये, बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को न हो आने में कोई परेशानी
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा उत्तराखंड सूबे के मुख्यमंत्री को बदले जाने और नए मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत के हाथों में राज्य की कमान दिए जाने से हरिद्वार मैं साधु संत खुश नजर आ रहे हैं
कुम्भ के पहले शाही स्नान के दिन मुख्यमंत्री तिरथ सिंह रावत द्वारा संत समाज के साथ मुलाकात ओर शाही स्नान के लिए अखाड़ो पर पुष्प वर्षा किये जाने का भी हरिद्वार में संत समाज ने स्वागत किया है। जहा नए मुख्यमंत्री बनाये जाने से संतो ने आशा की है की नए मुख्यमंत्री कुम्भ को ओर भव्य और दिव्य बनाने का ओर अधिक प्रयास करेंगे तो वही अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी महाराज सहित कई साधु संतों ने कुम्भ व्यावथाओ पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कुम्भ मेले में व्यवस्था संभाल रहे कुछ अधिकारियों को हटाया जाने की मांग की है
कुंभ के प्रथम शाही स्नान के बाद साधु-संतों की संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा कि वे सभी अखाड़ो की तरफ से कुंभ मेला प्रशासन और जिला प्रशासन का धन्यवाद ज्ञापित करते हैं कि अच्छी व्यवस्थाओं के साथ पहला शाही स्नान संपन्न हुआ है वही उन्होंने नए मुख्यमंत्री के हरिद्वार पहुंचने पर साधु-संतों और गंगा सभा से मुलाकात का भी स्वागत करते हैं ओर मुख्यमंत्री द्वारा हरिद्वार शाही स्नान के लिए निकले संतों पर पुष्प वर्षा का भी आभार व्यक्त करते हैं। यहां उन्होंने कहा कि वह आशा करते हैं कि कुंभ को लेकर पूर्व में जारी की गई s.o.p. पर सरकार नए मुख्यमंत्री नरम रवैया अपनाते हुए श्रद्धालुओं के लिए इसको समाप्त करने का काम करेंगे। वही उन्होंने कुछ अधिकारियों को कुम्भ की व्यवस्थाओं से हटाने की मांग भी की है। जिसमे उन्होंने विशेष तौर पर नगर आयुक्त को हटाए जाने की बात कही।
निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भगवान शिव का स्वरूप है और वह आशा करते हैं कि उनके नेतृत्व में कुंभ का आयोजन और अधिक भव्य और दिव्य होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा जिस तरह से संतों पर पुष्प वर्षा की गई और गंगा सभा के सदस्यों द्वारा के साथ मुलाकात की गई वह स्वागत योग्य है उन्होंने बताया कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष कुम्भ की व्यवस्थाओं पर जल्द ही मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे।
वहीं जयराम आश्रम के पीठाधीश्वर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज कुंभ मेले के पहले शाही स्नान महाशिवरात्रि पर्व सकुशल संपन्न होने पर संत समाज हरिद्वार की जनता और पुलिस को इसका श्रय देते नजर आ रहे है इसके विपरत ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज राज्य सरकार के द्वारा कुम्भ मेले को लेकर जारी की गई एसओपी की कड़ी आलोचना भी कर रहे है इनकी मांग है कि सरकार द्वारा कुम्भ में धार्मिक अनुष्ठानो पर लगाई गई रोक को हटाना चाहिए। साथ ही जिस तरह बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को बॉर्डर से हरिद्वार आने नही दिया जा रहा है श्रद्धालुओ की भावनाओ का खयाल रखते हुए नए मुख्यमंत्री को ऐसे आदेशो को तुरंत वापस लेना चाहिए।
निर्मल अखाड़े के महन्त अमनदीप सिंह भी केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा कुंभ मेले को लेकर जारी की गई एसओपी से नाराज नजर आ रहे हैं महंत अमनदीप सिंह का कहना है कि वह खुद बाहर से शाही स्नान के लिए वापस उत्तराखंड आ रहे थे उन्हें भी संत होने के बावजूद बॉर्डर पर रोक दिया गया उत्तर प्रदेश और अन्य दूसरे राज्यों में लगातार बड़े आयोजन और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं मगर सरकार द्वारा हरिद्वार कुंभ मेले पर ही कड़े कानूनों के साथ एसओपी लागू की गई है स्वामी अमनदीप सिंह का यह भी कहना है कि वह शासन से पूछना चाहते हैं कि कोरोना महामारी का प्रभाव केवल उत्तराखंड में आयोजित कुंभ मेले पर है दूसरे राज्यों में क्या कोरोना महामारी का कोई प्रभाव नहीं है ।
महंत अरुण दास महाराज का कहना है कि कुंभ मेले के लिए सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी बिल्कुल भी सही नहीं है धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन श्रद्धालुओं के कल्याण के लिए किया जाता है अगर धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं होंगे तो लोगों का कल्याण कैसे होगा महंत अरुण दास ने भी मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा कुंभ मेले को लेकर जारी की गई एसओपी को खारिज करें और हरिद्वार में भव्य दिव्य कुंभ का आयोजन करें वही महंत अरुण दास ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सूबे के मुख्यमंत्री द्वारा नई एसओपी को खारिज नहीं किया जाता है तो अखिल भारतीय संत समाज इसका पुरजोर विरोध करेगा वही महन्त अरुण दास का यह भी कहना है कि जब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में माघ माह के अंदर मेला और वृंदावन में कुंभ मेले का भव्य सफल आयोजन किया जा सकता है तो फिर उत्तराखंड में कुंभ मेले का भव्य और दिव्य आयोजन क्यों नहीं किया जा सकता हैं।