ललितानन्द गिरी का हुआ पट्टाभिषषेक, महामंडलेश्वर पद पर हुए आसीन

हरिद्वार

ललितानन्द गिरी का हुआ पट्टाभिषषेक, महामंडलेश्वर पद पर हुए आसीन

हरिद्वार। महाकुम्भ के रंग पूरे परवान पर हैं। एक और जहां कई अखाड़ों की धर्मध्वजा स्थापित हो गई हैं तो वहीं अखाड़ों की पेशवाई अपनी-अपनी छावनियों में प्रवेश करने लगी हैं। छावनियों में प्रवेश के साथ ही अखाड़ों में धार्मिक गतिविधियां भी सुचारू रूप से प्रारम्भ हो गई हैं और अखाड़ों में पट्टाभिषेक कर नए महामंडलेश्वर के पद पर सुशोभित किया जा रहा है, इसी कड़ी में आज श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा में ललितानंद गिरी जी महाराज का पट्टाभिषेक कर उन्हें महामंडलेश्वर पद पर आसीन किया गया।

इस अवसर पर निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने बताया कि ललितानंद गिरी जी महाराज भारत माता मंदिर के प्रभारी और ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर सत्यमित्रानंद गिरी जी महराज के वरिष्ठ शिष्य हैं और निरंजनी अखाड़े से सम्बंधित हैं। उन्होंने बताया कि पूज्य महाराज श्री भी निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर थे, आज बड़ा आनंद का विषय है, ललितानंद गिरी महाराज एक परम सन्यासी हैं, उन्होंने बताया कि निरंजनी अखाड़ा और मैं स्वयं इन्हे महामण्डलेश्वर पद पर आसक्त करना चाह रहे थे। आज उन्हें महामंडलेश्वर पद पर अभिषिक्त किया गया। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने बताया कि महामंडलेश्वर की परम्परा वरिष्ठ परम्परा है, स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने ललितानंद गिरी महाराज को बधाई देते हुए बताया कि आज सभी 13 अखाड़ों के नेतृत्व में ललितानन्द गिरी जी महाराज का पट्टाभिषेक हुआ है।

वहीँ इस अवसर पर ललितानंद गिरी महाराज ने बताया कि महामंडलेश्वर की परम्परा है कि अखाड़े की संस्कृति को सनातन की संस्कृति को बचाये रखना और आगे बढ़ाना है, हमारी सनातन परम्परा का निर्वहन करना समाज को जागृत करना है, हमारी सनातन परम्परा आदिकाल से है, भगवान् शंकराचार्य जी ने इस परम्परा को बनाया था हम इसको मजबूत करने का प्रयास करेंगे। अखाड़े ने जो हम पर विश्वास किया है उसे सौ गुना करके दिखाने का प्रयास करेंगे। ललितानंद गिरी ने कहा कि हमारे गुरु का हम पर आशीर्वाद था, उन्होंने पुरे देश-विदेश में सनातन धर्म का डंका बजा कर देश-विदेश में नाम कमाया, मैं ऐसे गुरु का शिष्य होने पर खुद को गौरान्वित महसूस करता हूँ।

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