हरिद्वार ब्यूरो
हनुमंत ध्वजारोहण के साथ जयराम आश्रम में हुआ कुंभ का आगाज,जयराम पीठाधीश्वर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा मां गंगा मैया के आशीर्वाद से और संत महापुरूषों के आशीर्वाद से महाकुंभ मेला होगा सकुशल संपन्न
जयराम पीठाधीश्वर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि मां गंगा मैया के आशीर्वाद से और संत महापुरूषों के आशीर्वाद से महाकुंभ मेला सकुशल संपन्न होगा। ऐसी सभी संतों की ईश्वर से कामना है। श्री जयराम आश्रम में हनुमंत ध्वजा रोहण कर कुंभ का श्रीगणेश किया गया। संत महापुरूषों के सानिध्य में हनुमंत ध्वजारोहण करने के उपरांत श्री जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि आश्रम की परंपरा के अनुसार किसी भी कार्य का शुभारंभ हनुम्त ध्वजारोहण कर किया जाता है। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए ध्वजारोहण कर कुंभ का श्रीगणेश कर दिया गया है। जिसके अंतर्गत मुख्य रूप से अन्न क्षेत्र की व्यवस्था शुरू की गयी है। अन्न क्षेत्र से प्रतिदिन संत महात्माओं को भोजन प्रसाद वितरण किया जाएगा। जो कि कुंभ के दौरान निरंतर जारी रहेगा। ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि प्रत्येक बारह वर्ष पश्चात होने वाले कुंभ के दौरान देश विदेश से लाखों संत महात्मा हरिद्वार आते हैं। उनका अतिथी सत्कार करना सबका दायित्व है। श्री जयराम आश्रम समाजसेवा एवं भारतीय संस्कृति के संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इस परंपरा का पालन करते हुए कुंभ अवधि के दौरान संत महात्माओं को भोजन प्रसाद वितरण के साथ आश्रम में श्रीमद्भागवत कथा, श्रीराम कथा, सहस्त्रचण्डी महायज्ञ, गायत्री पुरश्चरण, विष्णु महायज्ञ आदि विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कुंभ का स्वरूप क्या होगा, यह तय करना अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और सरकार का काम है। आश्रम द्वारा अपनी परंपराओं के अनुसार संत सेवा का कार्य शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी एसओपी से संत समाज खुश नहीं है। बेहद कड़ी एसओपी के चलते कुंभ के दौरान होना धार्मिक पर्यटन व व्यापार प्रभावित होगा। जिससे सभी को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। चमोली जनपद में आयी प्राकृतिक आपदा से प्रभावितों को मदद पहुंचाने के लिए भी आश्रम की ओर से पूरे प्रयास किए जाएंगे। इस अवसर पर श्रीमहंत महेश्वरदास, श्रीमहंत उमाकान्तानन्द महाराज, म.म.स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती, महंत देवानंद सरस्वती, महंत साधनानंद, स्वामी संतोषानंद, महंत दामोदरदास, स्वामी सत्यव्रतानन्द, स्वामी सतपाल ब्रह्मचारी, म.म.हरिचेतनानंद महाराज, महंत जसविन्दर सिंह, स्वामी यतीन्द्रानंद गिरी, मकबूल कुरैशी, डा.संजय पालीवाल, दिनेश पुण्डीर आदि मौजूद रहे।