छड़ी यात्रा का हरिद्वार के मठ मंदिरों में हो रहा पूजन

छड़ी यात्रा का हरिद्वार के मठ मंदिरों में हो रहा पूजन उत्तराखंड को पलायन मुक्त करने में निभायेगी अहम भूमिका

प्राचीन पवित्र छड़ी यात्रा हरिद्वार के मायादेवी मंदिर से उत्तराखंड के गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में स्थित सभी प्रमुख तीर्थस्थलों के भ्रमण से पहले धर्मनगरी हरिद्वार के भर्मण पर हैं। हरिद्वार के सभी प्रमुख धार्मिक स्थल और आश्रमो के भर्मण के बाद छड़ी यात्रा उत्तराखंड के सभी प्रमुख तीर्थंस्थलो अन्य क्षेत्रों के लिए रवाना होगी आज पवित्र छड़ी हरिद्वार कनखल स्थित जगद्गुरु आश्रम पहुंची जहा जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने छड़ी यात्रा का विधि विधान के बाद पूजन करके आगे की यात्रा के लिए रवाना किया छड़ी यात्रा मे निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी केलाशानंद गीरी महाराज अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी महाराज महामंत्री हरिगिरि सहित संत समाज मौजूद रहा।

आपको बता दे कि जूना अखाडे द्वारा प्राचीन काल से इस छड़ी यात्रा को निकला जाता था। मगर करीब 70 साल यह छड़ी यात्रा किन्ही कारणों से बंद हो गई थी प्राचीन समय में यह छड़ी यात्रा बागेश्वर से निकाली जाती थी तीन साल पहले अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़ा के हरिगिरि महाराज ने मुख्यमंत्री से इस प्राचीन छड़ी यात्रा को दुबारा शुरू करने की अनुमति मांगी थी और इस प्राचीन छड़ी को हरिद्वार लाकर स्थापित कर दिया था सरकार की अनुमति मिलने के बाद छड़ी यात्रा को दुबारा शुरू किया गया।

अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि का कहना है। कि प्राचीन समय में राजा महाराजा गरीब लोगों को छड़ी यात्रा के माध्यम से यात्रा करवाते थे जिससे तीर्थों का प्रचार-प्रसार भी होता था यह परंपरा सदियों तक चलती रही आज उत्तराखंड में काफी पलायन हो रहा है जिससे बॉर्डर के क्षेत्र खाली हो रहे है नई पीढ़ी को अगर पलायन के लिए नहीं रोका गया तो यह काफी खतरनाक हो सकता है क्योंकि उत्तराखंड का अर्थ सिर्फ हरिद्वार ही नहीं है यही चिंता संत समाज को भी है छड़ी यात्रा के माध्यम से पूरे उत्तराखंड में पलायन को रोकने का कार्य किया जा रहा है और सरकारों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया जा रहा है कि सीमा पर काफी पलायन हो रहा है इसे रोका जाए हमें विश्वास है की छड़ी यात्रा के माध्यम से पहाड़ों पर विकास होगा।

उत्तराखंड के तमाम मठ मंदिरों के लिए रवाना होने से पहले छड़ी यात्रा का हरिद्वार के आश्रम मठ मंदिरों में पूजन किया जा रहा है शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम का कहना है कि यह सन्यास परंपरा का एक विशेष पर्व है छड़ी यात्रा की परंपरा अनादि काल से चली आ रही है इस कार्य को पुनः शुरू किया गया है छड़ी पूजन का विधान हमे हिंदू संस्कृति से जोड़ता है वही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी का कहना है कि यह छड़ी हरिद्वार में सभी मठ मंदिरो और आश्रम में जाएगी वहा इसका पूजन किया जाएगा उसके बाद यह यात्रा उत्तराखंड के सभी मठ मंदिरों के लिए रवाना की जाएगी हमारा उद्देश्य है इस यात्रा को भारत के हर कोने तक लेकर जाया जाए जिससे हिंदू सनातन परंपरा से जुड़े सभी एकजुट हो जबसे छड़ी यात्रा दोबारा शुरू की गई है सभी लोगों का इसमें सहयोग मिल रहा है यह यात्रा हरिद्वार से शुरू होकर उत्तराखंड के अंतिम छोर नंदा देवी तक जाएगी