
हरिद्वार
महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पहुंचे दिव्य प्रेम सेवा मिशन के रजत जयंती समारोह कार्यक्रम मैं साथ में मिसेज श्रीमती सविता गोविंद
दिव्य प्रेम सेवा मिशन के 25 वर्ष पूर्ण होने पर संस्था द्वारा रखा गया रजत जयंती समारोह मिशन के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने किया सभी अति विशिष्ट लोगो का भव्य स्वागत
आयोजित कार्यक्रमों में उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ,महामहिम राज्यपाल लेफ्टिनेंट जरनल गुरमीत सिंह, योग गुरु स्वामी बाबा रामदेव , कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज , धन सिंह रावत ,रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा, रविदास आचार्य सुरेश राठौर सहित कई मंत्रियों और विधायकों ने की शिरकत
दिव्य प्रेम सेवा मिशन के रजत जयंती समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे।
महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस संस्था के संरक्षक और भी है और उनका दिव्य प्रेम सेवा मिशन संस्था से गहरा लगाव है यह संस्था कुष्ठ रोगियों के लिए और इसके साथ-साथ अन्य कार्यों में अपनी सेवाएं देते
योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा दिव्य प्रेम सेवा मिशन जैसी संस्थाओं को मिले नोबल पुरस्कार वह भारत रत्न हरिद्वार
पिछले 25 सालों से कुष्ठ रोगियों और उनके बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे दिव्य सेवा प्रेम मिशन को सेवा करते हुए 25 वर्ष पूरे हो गए हैं उसी को लेकर आज मिशन ने रजत जयंती समारोह आयोजित किया जिसमें महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी योग गुरु स्वामी रामदेव उपस्थित हुए वही योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा साढ़े पांच सौ कुष्ठ रोगियों के बच्चों की सेवा और लगभग ऐसे ही 500 कुष्ठ रोगियों की सेवा यह अपने आप में एक बहुत बड़ा कीर्तिमान है। आज जे दौर में दो चार बच्चों को भी संभालना बहुत बड़ा काम होता है। पांच सौ कुष्ठ रोगियों के बच्चों को 25 वर्षों से संभालना एक बहुत बड़ा कीर्तिमान है। इसीलिए मैंने कहा यह नोबल कार्य और दिव्य प्रेम सेवा मिशन नोबल पुरस्कार का हकदार है। भारत रत्न का हकदार है। इतना बड़ा कार्य किया आदरणीय आशीष जी ने संजय जी ने और यह सच है। कि कई बार पुरस्कारों में भी अलग-अलग प्रकार के कैम्पियंस चलाए जाते हैं। लेकिन भाई आशीष जी ने जो सेवा का कीर्तिमान स्थापित किया और उस कार्य को गौरव प्रदान किया महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने हम उनका अभिनंदन करते हैं। इस कार्यक्रम में आकर उन्होंने अपना गौरव प्रदान किया सेवा कार्य करने वालों को संबल मिलता है। और किस कार्य को कितना वेटेज देना है। जब यह देश के संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तित्व ऐसे कार्यों को आशीष देते हैं। तो निश्चित रूप से ऐसी संस्थाओं को गौरव और सम्मान मिलता है। कुष्ठ रोग और कुष्ठ रोगियों के बच्चों को लेकर अभी भी समाज में भृम और भ्रांतियां है। उनको तोड़ने का भी काम दिव्य प्रेम सेवा मिशन ने किया है। लोग कहते हैं। भारत में तो सामंतवादी लोग रहते हैं। जातिवादी लोग रहते हैं। जन्म से ब्राह्मण जाति में पैदा होकर के जिनको समाज में शूद्र और अति शूद्र कहा जाता है। जिनको समाज में अछूत अस्पृश्य समझा जाता है। उनकी सेवा करना यह हमारी सनातन संस्कृति का सबसे बड़ा आदर्श जो यहां हो रहा है।