भारत और विश्व को आकाश, जल,धरती भीतर से बड़ी हानि तो धार्मिक टकराव, बड़ी दुर्घटना योग ,बड़ी हस्ती का वियोग*
दैवज्ञ पंडित राजीव शर्मा “शूर”
ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जन्मोत्सव मनाया जाता है
दैवज्ञ ज्योतिषाचार्य पं. राजीव शर्मा “शूर” ने बताया कि हिंदू वेद अथर्व ,ऋग्वेद से पुराणों में भविष्य पुराण, धर्म सिंधु में कहा गया है कि इस दिन शनि देव भगवान का जन्म हुआ था, तभी से ये दिन शनि जयंती या शनि जन्मोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है, शनि देव के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और विधि-विधान के साथ शनि देव की उपासना करते हैं, इस दिन विशेष उपाय करने से शनि दोष से भी छुटकारा मिलता है, इस बार शनि जयंती सोमवार,यानि आज 30 मई को मनाई जा रही हैं , शनि जयंती पर इस बार एक महाक्रूर संयोग भी बन रहा है। बड़ी दुर्घटना का योग ,धामों पर लोग सावधान हो जाएं, तो वहीं
किसी बड़ी हस्ती का वियोग का संयोग
*शनि जयंती पर 30 साल बाद अद्भुत संयोग*
इस वर्ष शनि जंयती का पर्व बेहद खास माना जा रहा है ज्योतिषाचार्य पं. राजीव शर्मा “शूर” का कहना है कि शनि जयंती के दिन सोमवती अमावस्या त्योहार के साथ शनि देव अपनी राशि कुंभ में भी मनाया जाएगा ऐसा संयोग तकरीबन 133 साल बाद बन रहा है, इस दौरान शनि देव कुंभ राशि में रहेंगे और जब शनि देव 100 वर्षों बाद मकर में आए थे तब से ये अब कुंभ में आने का भी 100 वर्षों का योग भी बना परंतु ये संयोग सोमवार अमावस्या का गुरु मंगल का अंगारक योग 133 वर्षों बाद धार्मिक विवाद उन्माद के संग आकाश जल और धरती के भीतर से भी खतरनाक हानि आगे 6 महीने दे सकता हे अभी हाल में गए ग्रहण भी 6 महीने साथ असर खराब दिखाएंगे तो ये शनि संग प्रथम और द्वादश का योग विश्व को खतरनाक असर दिखाएगा।
*शनि जयंती का शुभ मुहूर्त*
शनि जयंती सोमवार, 30 मई को मनाई जा रही हैं , पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि सोमवार सूर्योदय समय से शुरुआत हो कर सोमवार को ही 30 मई की शाम 5 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी।
*पूजन विधि*
शनि जन्मोत्सव पर शनि देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है ज्योतिषाचार्य पं. राजीव शर्मा “शूर” ने बताया कि इस दिन सुबह उठकर स्नान करें, शनिदेव की मूर्ति जो घर से बाहर हो पर तेल, फूल माला और प्रसाद अर्पित करें, उनके चरणों में काली उड़द और तिल चढ़ाएं, इसके बाद तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करें और व्रत का संकल्प लें, शनि जन्मोत्सव के दिन किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराना बेहद फलदायी माना जाता है, इस दिन दान-धर्म के कार्य करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं, आमतौर पर लोगों में शनिदेव को लेकर डर देखा जाता है, कई ऐसी धाराणाएं बनी हुई हैं कि शनि देव सिर्फ लोगों का बुरा करते हैं, पर सत्य इससे बिल्कुल परे हैं, शास्त्रों के अनुसार, शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उसकी सजा तय करते हैं, शनि की साढ़ेसाति और ढैय्या मनुष्य के कर्मों के आधार पर ही उसे फल देती है।
*शनि मंत्र का करें जाप*
“ॐ शं शनैश्चराय नमः”
ॐ ह्रीं नीलांजनसमाभामसं रविपुत्रं यमाग्रजं छायामार्त्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
मां गंगा जी में 5 डुबकी लगाई पूर्व को मुंह करके
नमः शिवाय का जपें
अगर घर पर हैं तो गंगा जल की 5 बुँदे नहाने के पानी में डाल कर स्नान पूर्व को मुंह करके करें
शिव विष्णु जी की पूजा करें
पर्यावरण का विशेष ध्यान रखें, हर तीर्थ पर जनता खुद सफाई रखें
राहु केतु जो मेष तुला राशि में कालसर्प योग बना रहे हैं वे हानि करेंगे
पर्यावरण और वातावरण में भी।