मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय दिवस के अवसर पर हिमालय संरक्षण के लिए एक विशेष कमेटी गठित करने की घोषणा की है। इस कमेटी का संयोजन महानिदेशक यूकॉस्ट श्री दुर्गेश पंत करेंगे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राज्य स्तरीय पांचवें देहरादून, अंतरराष्ट्रीय साइंस एंड टेक्नोलॉजी फेस्टिवल के पोस्टर का भी विमोचन किया, जो छह जनपदों में आयोजित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने जलवायु परिवर्तन और हिमालय के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में हर वर्ष 2 सितंबर को बुग्याल संरक्षण दिवस मनाया जाएगा। उन्होंने जल स्रोतों और नदियों के पुनर्जीवीकरण के लिए स्प्रिंग एंड रिवर रिजूवनेशन अथॉरिटी के गठन की भी जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने नीति आयोग की बैठक में हिमालय के लिए अलग से योजना बनाने की बात भी उठाई है। उन्होंने कहा कि राज्य में इकोलॉजी और इकॉनमी में संतुलन बनाकर विकास के कार्य किए जा रहे हैं, और इसमें जनसहभागिता की आवश्यकता है।
विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि मध्य हिमालय के लिए विकास का मॉडल बनना जरूरी है। आज जिस तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं, यह चिंता का विषय है। हिमालय के संरक्षण के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पूर्व में हमने हिमालयन यूनिटी नाम से एक संस्था बनाई। तब यह तय हुआ कि 9 सितंबर को हिमालय दिवस मनायेंगे।
महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो दुर्गेश पंत ने कहा कि 02 सितम्बर से 09 सितम्बर तक हिमालय सप्ताह के रूप प्रदेशभर में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रीय संस्थानों और प्रदेश के अनेक संस्थानों में कार्यक्रमों के आयोजन कर हिमालय के संरक्षण और संवर्द्धन संबंधी अनेक विषयों पर विचार विमर्श किया गया।
इस अवसर पर विधायक श्रीमती सविता कपूर, विधायक उमेश शर्मा काऊ, पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, प्रमुख वन संरक्षक डा. धनंजय मोहन, इसरो देहरादून के निदेशक आर.पी. सिंह, आई.आई.पी के निदेशक हरेन्द्र बिष्ट एवं विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
आपको क्या लगता है, इस तरह की पहल से हिमालय के संरक्षण में कितना योगदान मिलेगा?