देवस्थानम बोर्ड बनाना त्रिवेंद्र रावत का पागलपन था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का फैसला स्वागत योग्य
शांभवी पीठाधीश्वर और शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष आनंद स्वरूप महाराज ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा सरकारों को जितने भी मठ मंदिर है। उनको अधिग्रहण करने का अधिकार नहीं है। देवस्थानम बोर्ड बनाना त्रिवेंद्र रावत सरकार का सनकी पन पागलपन था। हालांकि यह पूरे देश में चल रहा है। धर्म स्थलों पर सरकार का कब्जा यह समाप्त होना चाहिए। वही सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड जो भंग किया है। उनका यह फैसला स्वागत योग्य है। अलग-अलग प्रदेश की सरकारों को भी इस फैसले से सीख लेनी चाहिए और जिन्होंने भी मठ मंदिरों पर इस तरह के कानून बना रखे हैं। उन सबको ऐसे फैसले वापस लेने चाहिए। वही आनंद स्वरूप महाराज ने उन साधु-संतों पर भी सवालिया निशान लगाए हैं। जो संगठित एकत्रित नहीं है। अगर संत समाज एकत्रित होगा तो सरकार की मठ मंदिरों पर कब्जा करने की हिम्मत नहीं होगी। अगर सरकार ऐसे ही धार्मिक स्थलों पर फैसले लेगी तो उन सरकारों विरोध होगा और बदल दिया जाएगा ।