हरिद्वार
बामसेफ के आफ सूट संगठन चमार वाल्मीकि महासंघ, बहुजन क्रांति मोर्चा, राष्ट्रीय मूलनिवासी अत्यंत पिछड़ी अनुसूचित जाति जागृति मोर्चा आदि संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हरिद्वार शिवजी मूर्ति के समीप मूलनिवासी बहुजन समाज को पेशवांओ की हजारों साल की गुलामी से मुक्त कराने वाले भीमा नदी के तट भीमा कोरेगांव महाराष्ट्र के युद्ध के मूलनिवासी महार योद्धाओं को विजय स्तंभ पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
बामसेफ के आफसूट संगठन बहुजन क्रांति मोर्चा उत्तराखंड के प्रदेश संयोजक भंवर सिंह ने विजय दिवस पर विजय स्तंभ के चित्र पर अपने पुरखों को पुष्पांजलि अर्पित कर कहा कि महाराष्ट्र में पेशवाओ ने म्हारो के गले में हड्डी और पीछे झाडू बांधकर हजारों साल से जलालत की जिंदगी जीने पर मजबूर कर रखा था हमारा मूलनिवासी बहुजन समाज महाराष्ट्र के पेशवाओं के इस क्रूर अत्याचार से बहुत ही त्रस्त था। उधर अंग्रेज महाराष्ट्र पर कब्जा करना चाहते थे इस बात की भनक महार रेजीमेंट के सेनापति भीकूनाथ को लगी तो उन्होंने द्वितीय बाजीराव पेशवा से मुलाकात कर उनसे कहा कि अंग्रेज महाराष्ट्र पर कब्जा करना चाहते हैं। क्यों ना हम दोनों मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़े और अगर हमने अंग्रेजों को खदेड़ दिया तब हमारी महाराष्ट्र में क्या स्थिति होगी इस पर पेशवा बाजीराव ने कहा कि म्हारो को महाराष्ट्र में सुई के बराबर भी हिस्सा नहीं मिलेगा तब उन्होंने बाजीराव से कहा तो फिर इसका फैसला युद्ध में हो जायेगा और 500 महार सैनिक 31 दिसंबर1817 की रात को कोरेगांव भीमा नदी के तट पर पहुंच गए जहां पर पेशवा बाजीराव द्वितीय की 28000 सेना मौजूद थी 1 जनवरी 1818 को 9:30 बजे युद्ध प्रारंभ हुआ और शाम 9 :30बजे तक महार रेजीमेंट ने पेशवाओं पर विजय प्राप्त कर अपने मूलनिवासी बहुजन समाज को पेशवाओं की हजारों साल की जलालत भरी जिंदगी से आजाद करा लिया था इसलिए हम बामसेफ के सभी आप संगठनों के कार्यकर्ता अपने उन योद्धाओं को कोटि-कोटि नमन करते हुए अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।सुरेंद्र तेशवर,राजेंद्र श्रमिक,आत्मा राम वीरेंद्र श्रमिक शोक ,सुनील राजोर, परवीन तेशवर,नानक चंद पेवल,संजय पेवल, अशोक छाछर,राजू , सुलेक चंद, गोवर्धन, राजेश खन्ना, बंटी चंचल, प्रमोद , प्रमोद , सोनी, अजय कुमार, सुनील बेदी, सुभाष खेरवाल, कुलदीप कांगड़ा, राजेश, सतीश खैरवाल, दीपक, राजेश कुमार, कुलदीप,मास्टर मोदीमल तेगवाल, रफल पाल सिंह, सरोज पाल सिंह आदि ने पुष्प अर्पित किए।














