पीड़ित आयशा की मौत के बाद मुस्लिम समुदाय के उलेमाओं ने कहा दहेज प्रथा पर लगे पाबंदी

पीड़ित आयशा की मौत के बाद मुस्लिम समुदाय के उलेमाओं ने कहा दहेज प्रथा पर लगे पाबंदी

दहेज के मामले में पीड़ित आयशा की मौत के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक सभा करके दहेज प्रथा को बंद किये जाने पर जोर दिया। मंगलौर में मुस्लिम उलेमाओं ने एक सभा आयोजित की जिसमे हजारो लोगो ने हिस्सा लिया, उलेमाओ ने शादियों में फिजूल खर्च करने पर रोक लगाए जाने की अपील की है। आए दिन दान दहेज के लालच में बेटियों के साथ ज्यादती की जा रही है। और शादियों में भी बेटी वाला ही सबसे अधिक दान दहेज देकर खर्च करता है। जो बिल्कुल भी जायज नहीं है। सभा में मौजूद मुस्लिम समुदाय के लोगों को सम्बोधित करते हुए काज़ी मुफ़्ती मासूम क़ासमी ने कहा कि दान दहेज मिलने के बाद भी ससुराल के लोग बेटी से और ज्यादा दहेज की मांग करते हैं।जो लोग ऐसा करते हैं। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। और शादियों में फिजूलखर्ची पर पूरी तरह से पाबंदी लगनी चाहिए। शादियों में खर्च का बोझ केवल लड़की पक्ष पर ही नहीं पड़ना चाहिए। उसका खर्च दोनों परिवार के लोग मिलकर उठाये जिससे बेटी के परिवार वालो को कर्ज में न डूबना पड़े, दहेज की मांग करने वालो का समाज से बहिष्कार होना जरूरी है। वहीं मुफ़्ती साहब ने शादियो में डीजे पर भी पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगाए जाने की अपील की है। समाज मे बदलाव की सबसे अधिक जरूरत है। और ख़ासकर मुस्लिम समाज अपनी बेटियों को भी शिक्षा के लिए आगे बढ़ाए, ताकि समाज की बुराइयों को समझ सके, बेटीयो को भी बेटो की तरह दर्जा दिया जाना चाहिए।

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