कृषि कानून वापिस होने के बाद संतो की मठ मंदिर अधिग्रहण व देवस्थानम बोर्ड को रद्द किए जाने की मांग

ब्यूरो रिपोर्ट

कृषि कानून वापिस होने के बाद संतो की मठ मंदिर अधिग्रहण व देवस्थानम बोर्ड को रद्द किए जाने की मांग

कृषि कानून रद्द किए जाने के बाद अब मठ मंदिर अधिग्रहण और उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड को रद्द किए जाने की मांग अब और जोर पकड़ने लगी है। इन सब मुद्दों को लेकर साधु-संतों द्वारा दिल्ली में बैठक कर केंद्र सरकार से देश के सभी धर्म स्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के साथ-साथ उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग की गई है। जिसके लिए संतो द्वारा सरकार को एक माह का समय भी दिया गया हैं।

एक दिन पूर्व दिल्ली में हुई संतों की बड़ी बैठक के बाद हरिद्वार में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष व महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव रविंद्रपुरी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि संतों की हुई बैठक में केंद्र सरकार से मांग करी गई है। कि देश में अंग्रेजों के समय बने मठ मंदिर अधिग्रहण के कानूनों को रद्द किया जाए और मंदिरों के संचालन की समस्त जिम्मेदारियां वहां के स्थानीय संतो ब्राह्मणों को दी जाए। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी ज्ञापन दिए जाने की बात कही है। रविंद्रपुरी ने कहा कि देश में मंदिरो के लिए अंग्रेजों के समय बने मठ मंदिर अधिग्रहण कानूनों को रद्द किए जाने के लिए साधु संतों द्वारा सरकार को एक महीने की मोहलत दी गई है। जिसमें कहा गया है। कि आगामी 25 दिसंबर तक देश के समस्त मठ मंदिरों से सरकारी अधिग्रहण को समाप्त किया जाए। साथ ही उन्होंने मांग करी हैं। कि उत्तराखंड में सरकार द्वारा लागू किया गया देवस्थानम बोर्ड की जल्द से जल्द हल किया जाए और उसकी जिम्मेदारी उत्तराखंड के स्थानीय हक हकूक धारी ब्राह्मणों को दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा सत्र से पूर्व अगर प्रदेश सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को रद्द नहीं करती है। तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद उत्तराखंड के स्थानीय निवासियों और मंदिरों के हकहकूक धारी ब्राह्मणों के साथ खड़ी रहेगी।