हरिद्वार
केंद्र सरकार के काले कानून व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ गरजे विभिन्न केंद्रीय यूनियनों के कर्मचारी,राष्ट्रपति को भेजा 15 सूत्रीय ज्ञापन
कर्मचारियों की सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व कर्मचारियों के महासंघ द्वारा संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित 15 सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी हरिद्वार के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को भेजा गया। ज्ञापन देने से पूर्व ट्रेड यूनियन संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर हल्ला बोला। धरना प्रदर्शन में इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस आदि यूनियने शामिल रही। साथ में कर्मचारियों ने भगत सिंह चौक से चंद्राचार्य चौक तक पैदल मार्च भी निकाला और चंद्राचार्य चौक पर श्रम कानूनों की प्रतियां भी जलायी। इस अवसर पर इंटक नेता राजवीर सिंह चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार सार्वजनिक संपत्तियों को बेच रही है जिस कारण श्रमिकों और कर्मचारियों को भविष्य में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ जाएगा। सरकार द्वारा मजदूरों के पास जो लड़ाई लड़ने के अधिकार हैं वह पूर्णता समाप्त किए जा रहे हैं। इस अवसर पर मोदी सरकार द्वारा पूंजीपतियों के हित के लिये बनाये गए तीनों कृषि कानून का विरोध भी किया गया। राजबीर सिंह चौहान ने कहा कि जिस कानून को किसान नहीं चाहते मोदी सरकार ऐसे कानूनों को किसानों पर क्यों थोप रही है? किसान पिछले 70 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर काले कानूनों के खिलाफ धरना दे रही है लेकिन मोदी सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में कर्मचारी नेताओं ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा कोई भी सकारात्मक कदम न उठाने के कारण 3 फरवरी को देश की सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने सरकार की किसान, मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध दिवस मनाया। सभी श्रम संगठन, श्रमिकों एवं किसानों द्वारा उठाई गई मांगों के समर्थन में किए जा रहे आंदोलन का पूर्ण समर्थन करते हुए यूनियनों ने राष्ट्रपति से सकारात्मक कार्रवाई की अपेक्षा भी की है। ज्ञापन में मांग की गई है कि श्रम कानूनों में संशोधन के नाम पर कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने तथा मजदूरों के लिए बने 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर जो चार कोड में बदला गया है उसे तुरंत निरस्त किया जाए। भारत के किसानों की भावनाओं के विरुद्ध जो तीन कृषि कानून भारत सरकार द्वारा बनाये गए है उसे अविलंब रद्द किया जाए। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाया जाए जिससे बढ़ती महंगाई पर रोक लगाई जा सके तथा वस्तु बाजार में सट्टेबाजी के व्यापार पर पूर्णतया रोक लगाई जा सके। देश में बढ़ती बेरोजगारी पर रोक लगाने हेतु रोजगार पैदा करने हेतु ठोस कदम उठाए जाएं। केंद्र एवं राज्य सरकारों के कार्यालयों में कर्मचारियों की भर्ती पर लगी रोक को समाप्त कर पदों को पुनर्जीवित किया जाए। दिनांक 1 फरवरी को संसद में लाए गए बजट में छोटे शहरों के एयरपोर्ट एवं रेलवे के डेडीकेटेड फ्रंट कॉरिडोर, बिजली की ट्रांसमिशन लाइन, गैस पाइपलाइन, स्टेडियम, टोल, सड़कें एवं वेयरहाउस को बेचने की योजना पर रोक लगाई जाए। बढ़ती महंगाई को देखते हुए न्यूनतम वेतन मूल्य सूचकांक के प्रावधानों के साथ ₹21000 का भुगतान प्रतिमाह सुनिश्चित किया जाए। ठेकेदारी प्रथा समाप्त की जाए तथा ऐसे कामगारों को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार समान कार्य समान वेतन दिया जाए। सभी कामगारों के लिए बढ़ी पेंशन न्यूनतम ₹10000 प्रतिमा देना सुनिश्चित किया जाए। केंद्रीय और राज्य के सार्वजनिक उद्यमों के निजी करण एवं निगमीकरण पर रोक लगाई जाए। बोनस एवं ग्रेजुएटी वेतन भुगतान आदि पर लगाई गई सीलिंग को समाप्त किया जाए तथा भविष्य निधि की पात्रता हेतु लागू सीलिंग को समाप्त करते हुए कार्य सभी कामगारों को भविष्य निधि का लाभ दिया जाए। ट्रेड यूनियन के पंजीकरण हेतु आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि से 45 दिन की अवधि में अनिवार्य रूप से पंजीकरण तथा आईएलओ कन्वेंशन की क्रम संख्या सी- 87 और सी-98 की पुष्टि की जाए। रेलवे बीमा एवं प्रतिरक्षा जैसे संस्थानों में एफडीआई लागू किया जाना बंद किया जाए। मजदूर एवं जन साधारण जनता विरोधी बजट में संशोधन किया जाए। केंद्रीय एवं राज्य कर्मचारी हेतु बनाई गई नई पेंशन नीति को रद्द किया जाए। सभी नागरिकों (राशन कार्ड धारी अथवा नहीं) को हर माह 10 किलो गेहूं या चावल 2 किलो दाल, तेल, चाय, चीनी आदि राशन उपलब्ध कराएं। आंगनवाड़ी आशा भोजन माता आदि योजना कर्मियों को नियमित किया जाए तथा उन्हें कामगार का दर्जा देते हुए बजट में न्यूनतम वेतन की व्यवस्था की जाए। ज्ञापन देने वालों व केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने वालों में एटक के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रांतीय महासचिव ए के दास, पीडी बलूनी सीटू, प्रेमचंद सिमरा अध्यक्ष एचएमएस, सौरभ त्यागी महामंत्री एटक, राजवीर सिंह महामंत्री इंटक,पंकज शर्मा, श्यामलाल, मुकुल राज, अश्वनी चौहान, अमित सिंह, मुकेश कुमार, सचिन कुमार, राधेश्याम सिंह, आईडी पन्त, एमपी ज़ख्मोला, सीटू, मनमोहन सिंह, एस के शर्मा, दीपचंद, रहतू राम, राजेश बिष्, डीएस शाही, अमरीश चौहान, आशुतोष चौहान, संदीप चौहान, देवेंद्र, मनोज यादव, मुकेश कुमार, पंकज कुमार, नवीन कुमार, बृजमोहन पटवाल, राजेंद्र रावत, विक्रांत पटवाल, करण सिंह, सुनील कुमार, इफ्तेखार, एहसान, विवेक कुमार, उमेश कुमार, गजेंद्र, संजय, प्रदीप, ऋषि चौहान, अनंगपाल, विकास, प्रताप, नरेश, पवन कुमार, अमरजीत, गौरव झा, पंकज शर्मा, सचिन, मनीष सिंह, परमाल सिंह, विकास चौधरी, नईम खान, घनश्याम, अरुण, गजेंद्र, चंद्रभूषण, हिमांशु, अवधेश, देवी प्रसाद, रोहित, अमृतपाल, के पी सिंह, सतीश, आरपी धीमान, इमरत सिंह, अशोक चौधरी, वीरेंद्र कुमार, रामजीत, जेपी वर्मा, वसीम अहमद, कदम सिंह, आरके बडोनी, सुरेश चंद, आशीष, रोबिन, अरुण, राजेश, विमल, राहुल आदि सैकड़ों कर्मचारी व श्रमिक उपस्थित थे।