यज्ञ की मूल भावना परमार्थ है

यज्ञ की मूल भावना परमार्थ है। धरती-अम्बर, अग्नि, पवन-प्रकाशादि के रूप में परमात्मा स्वयं भी पारमार्थिक कार्यों में ही संलग्न है। परमार्थिक वृतियों के रक्षण, यज्ञादि शुभ-कर्मों के संपादन एवं विश्व-कल्याण के निमित्त भगवान श्रीदत्तात्रेय एवं भगवान महामृत्युंजय की अनुग्रह-स्थली तथा श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के आचार्यपीठ श्रीहरिहर आश्रम, कनखल, हरिद्वार में महाकुम्भ 2021 के शुभारंभ पर ‘धर्मध्वजा’ स्थापित की गई।

इस अवसर पर प्रभु प्रेमी संघ की अध्यक्षा महामंडलेश्वर पूजनीया स्वामी नैसर्गिका गिरि जी, महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अपूर्वानन्द गिरि जी, महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी गणेशानन्द गिरि जी, पूज्य स्वामी कैलाशानन्द गिरि जी, पूज्य स्वामी सोमदेव गिरि जी सहित संस्था के न्यासीगण, अधिकारीगण एवं साधकों की उपस्थिति रही।

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