कांग्रेस विधायक अनुपमा रावत ने अवैध खनन को लेकर एक बार फिर प्रशासन पर सवाल उठाए हैं।

हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा से कांग्रेस विधायक अनुपमा रावत ने जिले में चल रहे अवैध खनन को लेकर एक बार फिर प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने दूसरे राज्यों के खनन माफियाओं को जिले के संसाधनों को सौंप दिया है। निजी कंपनियों ने यहां अपनी खनन चौकिया स्थापित कर ली है। वहीं अवैध खनन के वाहनों से अक्सर दुर्घटनाएं भी सामने आ रही है। अनुपमा रावत ने अवैध खनन ना रोके जाने पर डीएम हरिद्वार ऑफिस पर भूख हड़ताल सत्याग्रह करने की चेतावनी भी दे डाली है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड बहुत शांत और सुंदर राज्य है। यहां पहाड़ और प्लेन का विवाद बढ़ता जा रहा है इसलिए मुख्यमंत्री को आगे आकर इस खाई को पाटने का काम करना चाहिए। बुधवार को विधायक अनुपमा रावत ने अजितेश विहार स्थित अपने घर पर मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि उत्तराखंड 13 राज्यों से मिलकर बना एक शांत और सुंदर राज्य है। इस राज्य की प्राप्ति में हर व्यक्ति ने अपना योगदान और बलिदान दिया है। यहां आपसी सौहार्द और प्रेम बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री इस राज्य के मुखिया हैं, सरकार उनकी है और इसलिए उनका ये फर्ज बनता है कि वो आगे आए और इस खाई को पाटने का कोई रास्ता निकालें। अनुपमा रावत ने कहा कि लोकतंत्र में जनता हमे विधायक चुनकर विधानसभा भेजती है। ऐसे सदन में एक जिम्मेदार व्यक्ति अगर कुछ गलत बोलता है तो इसका एक गलत संदेश पूरे देश ही नहीं दुनिया में भी जाता है। इसलिए उत्तराखंडियत न खराब हो इसके लिए जरूरी कदम उठाने चाहिएं।

कांग्रेस विधायक अनुपम रावत ने राज्य बजट पर बोलते हुए कहा मुझे तो कुछ मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा है सबसे बड़ा सवाल यह उठता है 2021 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्होंने एक घोषणा की थी लालढांग में उद्योग स्थापित करने की लेकिन उनकी घोषणा कोरी की करी साबित नजर आ रही है और मैं जब से विधायक बनी हूं मैं जब से इस बात को रख रही हूं क्रेडिट चाहे किसी को भी मिले मगर रोजगार और काम तो लोगों के हाथ में आएगा या तो आप उद्योग स्थापित करें या तो फिर आप सार्वजनिक रूप से कह यह हमारी खोकली घोषणा थी इस बजट में मुझे तो अपनी विधानसभा के लिए कुछ खास लग नहीं है मुझे बड़ा दुख भी होता है कृषि प्रधान हमारा राज्य है देश भी हमारा कृषि प्रधान है लेकिन अभी तक ना तो कोई कृषि नीति कोई गन्ना नीति न कोई समर्थन मूल्य कुछ नहीं है किसान के हाथ में क्या आ रहा है उन्होंने कहा कहीं पर कोई सुरक्षा वोल बनाई नहीं जा रही है जंगलों से जंगली पशु खेतों को रौंद दे रहे हैं उनका कोई मुआवजा किसानों को नहीं दिया जा रहा है किस दिनांक मजदूरी कर रहा है कभी आपदा आती है कभी कुछ होता है यह सब किसान झेलता है उसके लिए कोई भी ऐसा पैकेज नहीं है इस डबल इंजन की सरकार को किसी नीति घोषित करनी चाहिए। 1 – पॉइंट में मानती हूं जो हमारे बजट का है जहां पर भी बीजेपी सरकार बनाने को जाती है वह बहुत लुभाने वादे करती है आपने दिल्ली की बहनों को ढाई हजार रुपए देने की बात कही है के सबके खाते में ढाई हजार रुपए दिया जाएगा यह राज्य भी तो महिलाओं के द्वारा प्राप्त है वहां की बेटी अगर लाडली बेटी बहन है तो यहां की बेटी बहन भी तो लाडली होनी चाहिए उनके खाते में भी हर महीने ढाई हजार रुपए इस सरकार को डालने चाहिए।