उत्तराखण्ड़ हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद खुली चारधाम यात्रा से यात्रा से जुड़े व्यवसायियों ही नही बल्कि तीर्थयात्रियों में भी कुछ दिन पहले जो खुशी की लहर थी, वो अब फिकी पड़ती दिखाई दे रही है, सबसे पहले कर्नाटक से केदारनाथ यात्रा पर आए इन यात्रियों की आपबीती आप सुनिए …
बाबा केदार के दर्शनों की उम्मीदों के साथ चारधाम यात्रा पर आए कर्नानक के इस यात्री की भाषा भले ही आपकी समझ में नही आ रही हो, लेकिन रोते बिलखते इस यात्री के आखों में आसुंओं का सैलाब देख आप इस यात्री की भावनाऐं जरूर समझ गये होंगे, दरअसल बिना ई-पास यात्रा पर आए इस यात्री की तरह ही सैकड़ों यात्रीयों के हालात हैं, जो धाम पहुच बाबा के दर्शनों के लिए बीते कई दिनों से पहाड़ों की सड़कों में भूखे प्यासे भटक रहे हैं।
हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार की गाइडलाईन पर चल रही चारधाम यात्रा में केदारनाथ धाम के लिए प्रतिदिन 800 तीर्थयात्रियों की संख्या को निर्धारित किया गया है, जिसके लिए देवस्थानम् बोर्ड के ई-पास की व्यवस्था की गयी है, यात्रा खुलने की खबर सुनिते ही देश के कोने कोने से बिना देर किए सीधे उत्तराखण्ड़ पहुचे तीर्थयात्री इस व्यवस्था को समझ ही नही पाए, रही सही कसर हरिद्वार-ऋषिकेश में पूरी हो गयी जहां से बिना ई-पास व गलत जानकारी देकर यात्रियों को हजारों की संख्या में पहाड़ भेज दिया गया, और अब तस्वीर सबके सामने है, वही स्थानीय जनप्रतिनिधी इसके लिए प्रशासन व सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
दरअसल चारों धामों में केदारनाथ धाम की विषम भौगोलिक परिस्थितियां बिलकुल अलग हैं, यहां सोलह किमी पैदल चलकर बाबा के धाम पहुचना पड़ता है, बीते सालों के आकड़े देखें जाए तो केदारनाथ पैदल मार्ग में पहाडी से गिरे पत्थरों से हादसे व हाई एटीट्यूट में हार्ट अटैक से मौत की घटनाऐं होना आम बात है, ऐसे में हाईकोर्ट के निर्देश पर जारी ई-पास के बिना ही अगर कोई यात्री धाम पहुच जाए और उसके साथ कोई अनहोनी हो जाए तो इसका जवाब देना प्रशासन के लिए मुश्किल हो जायेगा, ऐसे में प्रशासन भी फुक -फुक कर कदम रख रहा है और बिना ई-पास किसी भी सूरत में यात्रियों को धाम नही जाने दिया जा रहा है।
चारधाम पर आए तीर्थयात्रियों की इस समस्या के समाधान के लिए अब सरकार फिर हाईकोर्ट पहुची है, अब देखना है कि हाई कोर्ट क्या निर्णय लेती है