पट्टाभिषेक रोकने के लिए न्यायालय की शरण लेंगे प्रज्ञानानंद महाराज कैलाशानंद ब्रह्मचारी को बताया समाजवादी पार्टी का नेता

हरिद्वार ब्यूरो

पट्टाभिषेक रोकने के लिए न्यायालय की शरण लेंगे प्रज्ञानानंद महाराज कैलाशानंद ब्रह्मचारी को बताया समाजवादी पार्टी का नेता

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर होने वाले पट्टाभिषेक कार्यक्रम पर विवाद गहराता जा रहा है। जयपुर से हरिद्वार पहुँचे प्रज्ञानानंद महाराज ने खुद को निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर होने का दावा करने के साथ ही न्यायालय की शरण लेने की बात कही है। सप्तर्षि आश्रम में उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में एक बार फिर दावा किया है। कि कई धर्माचार्यो की मौजूदगी में 13 मार्च 2019 को काशी में उनका पट्टाभिषेक कर निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर आसीन किया गया था। लेकिन अखाड़े के कुछ संत एक योग्य व्यक्ति कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज को आचार्य महामंडलेश्वर पद पर बैठाना चाहते हैं। लेकिन वह ऐसा होने नहीं देंगे। और 14 जनवरी को होने वाले पट्टा विषय कार्यक्रम को रोकने के लिए न्यायालय की शरण लेने जा रहे हैं। प्रज्ञानानंद महाराज ने मार्च 2019 में हुए अपने पट्टाभिषेक के फ़ोटो दिखाए। उन्होंने कहा कि अखाड़े के कुछ संत मिलकर एक ऐसे व्यक्ति को इस पद पर बैठाना चाहते है। जो समाजवादी पार्टी का नेता है। जो किसी अखाड़े की जमीन कब्जा कर बैठा है। उन्होंने कहा कि वे संत महात्माओं से पूछना चाहते है। कि क्या एक ऐसे व्यक्ति को आचार्य के पद पर बैठना चाहिए जो भू माफिया जैसा है। वे ऐसे अपात्र व्यक्ति को आचार्य जैसे गरिमामय पद पर नही बैठने देंगे। इस दौरान उन्होंने यह आरोप लगाया कि उन्होंने कुछ दिनों से धमकियां भी मिल रहे हैं। कि वह इस मामले में दखल ना दें और पट्टा विषयक कार्यक्रम में दखलअंदाजी भी ना करें। प्रज्ञानानंद महाराज ने आरोप लगाया कि अखाड़ों में कुछ साधु-संतों को षड्यंत्र के तहत हत्या की जा रही है। 14 जनवरी को इन सभी मामला उजाला उजागर करेंगे। सनातन धर्म के साधु संत और धर्म आचार्यों से उन्होंने अपील की है। कि वह ऐसा अनर्थ ना होने दें और साथ ही उन्होंने कहा कि 14 जनवरी को होने वाले पट्टाभिषेक कार्यक्रम को रोकने के लिए न्यायालय की शरण लेने जा रहे हैं। निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने से संबंधित नियुक्ति पत्र दिखाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि निर्णय लेने में नियुक्ति पत्र की परंपरा नहीं है।

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